top of page

दास प्रतितिनोधी खनियान

मैं एक पैराग्राफ हूं। अपना पाठ जोड़ने और मुझे संपादित करने के लिए यहां क्लिक करें। यह आसान है। बस "टेक्स्ट संपादित करें" पर क्लिक करें या अपनी सामग्री जोड़ने और फ़ॉन्ट में बदलाव करने के लिए मुझे डबल क्लिक करें। बेझिझक अपने पृष्ठ पर मुझे कहीं भी खींचें और छोड़ें। मैं आपके लिए एक कहानी बताने और अपने उपयोगकर्ताओं को आपके बारे में थोड़ी और जानकारी देने के लिए एक शानदार जगह हूं।

Untitled-2.png
Document0001.JPG.jpg
Document0002.JPG.jpg

मीरा: लोकतात्त्विकअधयन

दो धुरमूलीय राज घरानों ने अमरत्व को प्राप्त मीरां जैसे व्यक्तित्व के जनक होने का गौरव-भाव जानबूझकर क्यों छोड़ दिया? वह कौन सी सामाजिक सांस्कृतिक एवं मनोवैज्ञानिक गुत्थियां थीं जिनके रहते मीरां के विशिष्ट, अंतर्मुखी, हठीले और अकड़ व्यक्तित्व का गठन हुआ था। तत्कालीन सामाजिक-सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक लौकिक धरातल के साथ मीरां के व्यक्तित्व का समीकरण बिठाने के प्रयास को अपने ढंग का प्रथम व्यवस्थित प्रयास कहा जा सकता है। मुख्य लक्ष्य लोक- साक्ष्य में मीरां और मीरां में लोक- साक्ष्य की तलाश है तथा मध्यकालीन  वर्जनाओं- मर्यादाओं से बंधी एक राजबधू वह भी विधवा बागी बनकर लोक में ऐसे कैसे रल मिल गई कि मीरां में लोक और लोक में मीरा मूर्त उठी ।

-डॉक्टर आलम शाह खान।

मीरा लोकतात्त्विक अध्ययन,

2019, साहित्य भंडार 

इलाहाबाद

 

"यह किताब मीरां को लगभग पहली बार उसके स्थानिक समाज संस्कृति और भाषा के बीच रखकर समझती पहचानती है "-माधव हाड़ा।

"इस पुस्तक का महत्व मीरां के संबंध में यह है कि  मीरां के समय समाज और परिवेश के संबंध में मनगढ़ंत उत्साही निष्कर्षों तक जाने से रोकती है।" -पल्लव

  • YouTube

© 2020 तक आलम शाह यादगवार समिति

bottom of page