दिनांक 17 मई 2018 को प्रोफेसर आलम शाह ख़ान की 15वीं पुण्यतिथि पर स्मृति संगोष्ठी का आयोजन माणिक्य लाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय में किया गया। संगोष्ठी के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार श्री आबिद अदीब ने कहा कि प्रो. आलम शाह ख़ान प्रगतिशील चेतना के रचनाकार थे। उन्होंने समाज के वंचित एवं शोषित तत्वों की पीड़ा को उजागर किया। वर्तमान में जब मानवता पर ख़तरा मंडरा रहा है ,जनतांत्रिक मूल्य भुला दिए जा रहे हैं ,तब उनका लेखन अधिक प्रासंगिक है। मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के रूप में समकालीन विषयों पर उनके आलेख व्यवस्था के अंतर्विरोधों को रेखांकित करते हैं। डॉ.तराना परवीन ने डॉ.ख़ान के समग्र लेखन का पुनः प्रकाशन, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के दर्शन शास्त्र की विभागाध्यक्ष प्रो.सुधा चौधरी ने विश्वविद्यालय के प्राध्यापक व अन्य कर्मचारियों के संस्मरण एकत्रित कर उनका प्रकाशन,डॉ मीनाक्षी जैन ने उनके पत्रों का संकलन, डॉ. फरहत बानू ने उनके व्यक्तित्व एवं सामाजिक जीवन में उनके योगदान को रेखांकित करने,डॉ इंद्रा जैन ने उनके लेखन पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन , जनवादी मज़दूर यूनियन के संस्थापक श्री डी.एस. पालीवाल ने उनके लेखन को आम जनता तक पहुंचाने ओर प्रेरित करने, तथा प्रो. चंडालिया ने देशभर में फैले उनके साहित्य के प्रशंसकों एवं विद्वानों से संपर्क कर समालोचनात्मक आलेख एकत्रित करने का सुझाव दिया।
प्रोफेसर आलम शाह खान का लेखन आज भी प्रासंगिक है
अपडेट करने की तारीख: 5 मई 2023
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