दिनांक 17 मई 2020 को देश के प्रसिद्ध कथाकार आलम शाह ख़ान की 17वीं बरसी के मौके पर आलम शाह ख़ान यादगार कमेटी की ओर से एक वेबीनार आयोजित किया गया। इसमें देश की जानी-मानी हस्तियों के साथ उनके समकालीन लेखक ,मित्र ,एवं शिष्य भी शामिल हुए। सभी ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अपने विचार व्यक्त किए ।
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इस वेबीनार में जयपुर के प्रोफेसर दुर्गा प्रसाद अग्रवाल ने आलम शाह ख़ान साहब के साथ साक्षात्कार का जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने लंबे काल के बावजूद ज़्यादा कहानियां नहीं लिखीं। उन्होंने बताया कि ख़ान साहब संवेदना के स्तर पर कहानी को जीते थे और उसके बाद लिखते थे । वह अपने आसपास की भाषा को गंभीरता से सुनने के बावजूद उसे ज्यों का त्यों लिखने की बजाय उसे निर्मित और पुनर्निर्मित करके समृद्ध करते थे। वेबीनार में प्रोफेसर माधव हाड़ा ने लंबे काल के बावजूद आलम शाह ख़ान द्वारा कम पर महत्वपूर्ण कहानियां लिखने का जिक्र किया। वहीं मुंबई के साहित्यकार जीतेंद्र भाटिया ने समानांतर कहानी आंदोलन में कमलेश्वर के साथ काम करते समय के संस्मरण सुनाते हुए बताया कि उस समय आलम शाह ख़ान की इतनी अधिक संवेदनशील कहानियां पढ़कर सभी चौंक गए थे। उन्होंने आलम शाह ख़ान की कहानी 'पराई प्यास का सफर' पर आधारित दूरदर्शन पर प्रसारित टेली फिल्म की पटकथा के लेखककीय अनुभव के साथ ही प्रोफेसर साहब के साथ हुए गंभीर विमर्श को भी रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि आलम शाह ख़ान ने निम्न वर्गों के बारे में ही कहानियां लिखीं और उन्हें संवादों के माध्यम से पूरी कहानी कहने की महारत हासिल थी । वेबीनार में डॉक्टर मंजू चतुर्वेदी ने उनके पिता नंद चतुर्वेदी के साथ खान साहब की चर्चाओं पर बात की तथा ख़ान साहब को वंचित वर्ग का पहरेदार बताते हुए उस काल का प्रमुख कहानीकार बताया । वेबीनार में डॉक्टर इंदिरा जैन ने लॉकडाउन में मज़दूर वर्ग की वेदना को इंगित करते हुए कहानियों का ज़िक्र किया और बताया कि जब तक मज़दूर वर्ग की वेदनाएं रहेंगी तब तक उनकी कहानियां सदैव प्रासंगिक रहेंगी। नागौर से डॉक्टर हेमेंद्र पानेरी ने आलम शाह ख़ान की 12 कहानियों की विस्तार से चर्चा करते हुए आलम शाह ख़ान को संवेदनाओं का कहानीकार बताया । वेबीनार में डॉक्टर हुसैनी बोहरा, गुजरात के प्रोफेसर गोपाल सहर, जोधपुर के डॉक्टर नखत दान चारण,श्री भंवर सिंह सांदू, मुंबई से शकील ख़ान और प्रोफेसर सुधा चौधरी ,हरियाणा से नेहा राव ,जोधपुर से डॉक्टर तबस्सुम तथा डी.एस.पालीवाल,ने भी विचार व्यक्त किए। वेबीनार में कुल 52 साहित्यकारों ने एवं उनकी कहानियों के पाठकों ने भाग लिया। वेबीनार के लिए तकनीकी व्यवस्था का कार्य अफ्शां ख़ान एवं ज़हीन ख़ान ने किया। वेबीनार का संचालन कहानीकार डॉक्टर तराना परवीन किया और आलम शाह ख़ान यादगार समिति की तरफ से धन्यवाद की रस्म अदा की।
इस अवसर पर डॉ हिमांशु पंड्या ने फेसबुक के बनास जन पेज से लाइव होकर सुबह 11:00 बजे" यादों में आलम शाह खान: संस्मरण और कथा यात्रा" विषय पर एक प्रभावशाली व्याख्यान दिय।
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